श्री हनुमान भक्त शिरोमणि एवं ज्ञानियों में अग्रगण्य हैं। ज्ञान एवं भक्ति का अनन्य संबंध है। ज्ञान विवेक देता है और वो विवेक भक्ति को सुदृढ. बनाता है। वहीं ज्ञान कि प्राप्ति के लिए गुरु और इष्ट आराध्य के चरणों में भक्ति आवश्यक है। इस कारण से श्री हनुमान कि साधना ज्ञान व भक्ति को परस्पर प्रदान करने वाली है। ऐसे देवता के दो श्री विग्रह श्री पीताम्बरा पीठ परिसर में हैं। एक प्राचीन विग्रह जिनका पुनः उद्धार कर अनन्त श्री स्वामी जी महाराज ने समस्त भक्तों पर असीम अनुग्रह किया है। यह श्री विग्रह श्री वनखण्डेश्वर मंदिर के बाहर विराजमान है। दूसरा श्री विग्रह श्री वनखण्डेश्वर मन्दिर के गर्भ गृह में विराजमान है। ये पीठ में विराजमान होकर भक्तों का सतत मार्ग दर्शन कर रहे हैं।