श्री वनखंडेश्वर महादेव
दतिया प्राचीन साधना स्थली है, यहां पर महाभारत कालीन शिवलिंग श्री वनखण्डेश्वर प्रतिष्ठित है जो आज वनखंडी के नाम से जाना जाता है।
वनखण्डेश्वर यूँ तो जनमानस कि भाषा में वन क्षेत्र के स्वामी प्रतीत होते हैं जो कि पूर्व काल कि परिस्थितियों के अनुरूप सही है, लेकिन सार्वकालिक देवता शिव का नाम केवल नाम न होकर सूत्र होता है इस भाव से अगर वनखण्डेश्वर का अवलोकन किया जाए तो इस महान नाम के सहस्रों अर्थ मिल जाएंगे, उदाहरण के लिए अगर वनखण्डेश्वर का सन्धि विच्छेद वन्+अखण्ड+ईश्वर किया जाए तो यहाँ भ्वादय वन धातु के अर्थ ‘शब्द करना’ से वनखण्डेश्वर अखण्ड या अद्वैत के उद्घोश करने वालों के ईश्वर ज्ञात होते हैं।
इस प्रकार से सर्व व्यापक शिव के इस गरिमामयी नाम के नाना अनुसंधान वनखण्डेश्वर कि साधना का विषय है। ऐसे भगवान शिव श्री पीताम्बरा पीठ परिसर में महाभारत काल से विराजमान हैं, यह तथ्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के मत से सिद्ध है। श्री वनखण्डेश्वर महादेव, ब्रह्मास्त्र मर्मज्ञ श्री अश्वत्थामा द्वारा पूजित हैं यह जगत विख्यात है। यहाँ पर आने वाले साधकों के अपने अनोखे अनुभव शब्दों में वर्णित नहीं किए जा सकते।